

Thursday, September 27, 2012
Tuesday, September 25, 2012
Monday, September 3, 2012
पहेलियाँ ही पहेलियाँ
1.... तुम न बुलाओ मैं आ जाऊँगी,
न भाड़ा न किराया दूँगी,
घर के हर कमरे में रहूँगी,
पकड़ न मुझको तुम पाओगे,
मेरे बिन तुम न रह पाओगे,
बताओ मैं कौन हूँ?
उत्तर : 1.................................................... हवा
2.... गर्मी में तुम मुझको खाते,
मुझको पीना हरदम चाहते,
मुझसे प्यार बहुत करते हो,
पर भाप बनूँ तो डरते भी हो।
उत्तर : 2............................................. पानी
3.... मुझमें भार सदा ही रहता,
जगह घेरना मुझको आता,
हर वस्तु से गहरा रिश्ता,
हर जगह मैं पाया जाता
उत्तर : 3....................................... गैस
4.... ऊपर से नीचे बहता हूँ,
हर बर्तन को अपनाता हूँ,
देखो मुझको गिरा न देना
वरना कठिन हो जाएगा भरना।
उत्तर : 4............................................................द्रव्य
5.... लोहा खींचू ऐसी ताकत है,
पर रबड़ मुझे हराता है,
खोई सूई मैं पा लेता हूँ,
मेरा खेल निराला है।
उत्तर : 6.......................................................................काँच
1. आदि कटे तो गीत सुनाऊँ
मध्य कटे तो संत बन जाऊँ
अंत कटे साथ बन जाता
संपूर्ण सबके मन भाता
उत्तर : संगीत
2. सीधी होकर, नीर पिलाती
उलटी होकर दीन कहलाती।
उत्तर : नदी
3. हरी थी मन भरी थी
मोतियों से जड़ी थी
राजाजी के बाग में
दुशाला ओढ़े खड़ी थी
उत्तर : नदी
4. सीधी होकर वह बहती है
उल्टी होकर वाह-वाह कहती है।
उत्तर : हवा
१
चार अक्षर का मेरा नाम,
टिमटिम तारे बनाना काम,
शादी, उत्सव या त्योहार,
सब जलाएँ बार-बार।
उत्तर-
१ फुलझड़ी,
२
तीन पैर की चंपा रानी,
शाम-सवेरे नहाय,
चावल-दाल को छोड़कर,
कच्ची रोटी खाय।
उत्तर-
२ चकला-बेलन,
३
सुबह-सुबह ही आता हूँ,
दुनिया की खबर सुनाता हूँ,
बिन मेरे उदास हो जाते,
सबका प्यारा रहता हूँ।
उत्तर-
३ अख़बार,
४
पैर नहीं हैं,
पर चलती रहती,
दोनों हाथों से अपना मुंह पोंछती रहती।
उत्तर-
४. घड़ी।
१
मुझे उलट कर देखो,
लगता हूँ मैं नौ जवान,
कोई अलग न रहता मुझसे,
बच्चा, बूढ़ा और जवान॥
उत्तर-
१. वायु,
२
पत्थर पर पत्थर,
पत्थर पर पैसा,
बिन पानी घर बनाए,
वह कारीगर कैसा?
उत्तर-
२. मकड़ी,
३
सरपट लगा हरा झंडा,
कितना मीठा और रसीला॥
उत्तर-
४
सफेद तन हरी पूंछ,
न बुझे तो नानी से पूछ॥
उत्तर-
४. मूली, ५.
तीतर के दो आगे तितर,
तीतर के दो पीछे तीतर,
बोलो कितने तीतर।
उत्तर-
५. तीन। १. प्यार करूँ तो घर चमका दूँ वार करूँ तो ले लूँ जान
जंगल में मंगल कर दूँ कभी कर दूँ मैं शहर वीरान
Ans- बिजली
२. कपड़े उतरवाएँ पंखा चलवाए कहती ठंडा पीने को
अभी-अभी तो नहा के आया फिर से कहती नहाने को
Ans - गर्मी
३. न किसी से झगडा न लढाई , फिर भी होती सदा पिटाई ..
बताओ कोंन?
Ans - ढोल
४. जो जाकर न वापस आये जाता भी वह नजर न आये
सारे जग में उसकी चर्चा वह तो अति बलवान कहाये
Ans - समय
५. गर्मी में जिससे घबराते जाड़े में हम उसको खाते
उससे है हर चीज चमकती दुनिया भी है खूब दमकती
Ans - धुप
६. धूप लगे पैदा हो जाये छाँह लगे मर जाये
करे परिश्रम तो भी उपजे हवा लगे मर जाये
Ans - पसीना
७. ऐसी कोंन सी चीज़ है जिसे जो इंसान खरीदता है,
उसे वो इंसान कभी नही पहनता, और जो इंसान उसे पहनता है,
वो उससे कभी नही खरीदता!!!
Ans - कफन
८. वो कोनसा सा काम है जो 1 आदमी अपनी पूरी ज़िन्दगी में 1 बार करता है .
पर वही काम 1 औरत रोज़ करती है......
Ans - मांग भरना
९. वो कोन से सब्जी है. जिसका पहला अक्षर काट दे तो
1 कीमती चीज़ का नाम और अंतिम अक्षर काट दे तो
स्वीट डिश और दोनों काट दो तो लड़की का नाम बनता है ?
Ans - खीरा (Kheera )
१०. पिता ने अपने बच्चे को गिफ्ट देते हुए कहा,
की इसमें ऐसी चीज है, जब तुजे प्यास लगे तो पी लेना.
जब भूख लगे खा लेना. और जब सर्दी लगे तो जला लेना.
बताओ ऐसे कोन सी चीज है जो की हमारे इतने काम आयगी
Ans - नारयल
११. ऐसी कोण सी चीज है जिसे जितना खिचो वो उतनी छोटी होती जाती है
Ans - सिगरट
१२. आदमी अपनी पुनि जिन्दगी मे सबसे ज्यादा क्या सुनता है
Ans - अपना नाम
१३. मेने एक मरे हुए कुत्ते को भागते हुए देखा
Ans - मै भाग रहा था मेने भागते हुए मरे हुए कुत्ते को देखा
१४. वह कोन सी सब्जी है जिसमे ताला और चाबी दोनों आते है
Ans - लोकी
Monday, March 19, 2012
Thursday, March 15, 2012
Live And Let Live
कितना एहसास है इसमें, नाम से ही सिरहन हो जाती है |
कैसे भूले हम उस माँ को जिसने हमें बनाया है |
अपना लहू पिला - पिला कर ... ये मानुष तन दिलवाया है |
...उसके प्यारे से स्पंदन ने हमको जीना सिखलाया है |
धुप - छाँव के एहसासों से हमको अवगत करवाया है |
हम थककर जब रुक जाते हैं | वो बढकर राह दिखाती है |
दुनियां के सारे रिश्तों से हमको परिचित करवाती है |
जब कोई साथ न रहता है | वो साया बन साथ निभाती है |
खुद सारे दुख अपने संग ले जाकर हमें सुखी कर जाती है |
बच्चों की खातिर वो... दुर्गा - काली भी बन जाती है |
बच्चों के चेहरे में ख़ुशी देख, अपना जीवन सफल बनाती है |
उसके जैसा रिश्ता अब तक दुनियां में न बन पाया है |
कितना भी कोई जतन करले उसके एहसानों से उपर न उठ पाया है |
ऊपर वाले ने भी सोच - समझ कर हमको प्यारी माँ का उपहार दिलाया है |
Live And Let Live
कितना एहसास है इसमें, नाम से ही सिरहन हो जाती है |
कैसे भूले हम उस माँ को जिसने हमें बनाया है |
अपना लहू पिला - पिला कर ... ये मानुष तन दिलवाया है |
...उसके प्यारे से स्पंदन ने हमको जीना सिखलाया है |
धुप - छाँव के एहसासों से हमको अवगत करवाया है |
हम थककर जब रुक जाते हैं | वो बढकर राह दिखाती है |
दुनियां के सारे रिश्तों से हमको परिचित करवाती है |
जब कोई साथ न रहता है | वो साया बन साथ निभाती है |
खुद सारे दुख अपने संग ले जाकर हमें सुखी कर जाती है |
बच्चों की खातिर वो... दुर्गा - काली भी बन जाती है |
बच्चों के चेहरे में ख़ुशी देख, अपना जीवन सफल बनाती है |
उसके जैसा रिश्ता अब तक दुनियां में न बन पाया है |
कितना भी कोई जतन करले उसके एहसानों से उपर न उठ पाया है |
ऊपर वाले ने भी सोच - समझ कर हमको प्यारी माँ का उपहार दिलाया है |
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