Wednesday, June 15, 2011

उतरा चाँद मेरे

                                  फ़लक के तारों को देख 

जागती थी तमन्ना  
कोई एक सितारा 
मेरे आँगन में भी उतरे


उतर आया है पूरा चाँद 
मेरी बगिया में 
और रोशन हो गयी है 
मेरी बाड़ी उसकी चांदनी से 


चमक गया है हर पल जैसे 
मेरे धूमिल पड़े जीवन का 
मिल गया है मकसद  जैसे 
मुझे अपनी ज़िंदगी का .


मेरी ज़िंदगी की धुरी का वो 
केन्द्र  बन गया है 
मेरे घर एक नन्हा सा 
फरिश्ता  आ गया है ....

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