Wednesday, June 15, 2011

ईमानदारी से

ईमानदारी से
चाहती हूँ कहना
कि
मैं ईमानदार नहीं.
क्यों कि
जो कहती हूँ
वो करती नहीं
जो सोचती हूँ
वो होता नहीं
जो होता है
वो चाहती नहीं .
इसी ऊहापोह में
जीती चली जाती हूँ
क्षण - प्रतिक्षण
परिस्थितियों में
ढलती चली जाती हूँ.
जो बदल जाये
वक़्त के साथ
तो बताओ
वो कैसे
रह पायेगा ईमानदार
खुद की सोचों पर भी
बिठा  देती हूँ कभी - कभी
अनदेखा पहरेदार
और मान लेती हूँ
कि
ज़िन्दगी जी रही हूँ.
जब कि जानती हूँ
कि
पल पल मर रही हूँ.
इसीलिए 
कहती हूँ ईमानदारी से
कि
मैं ईमानदार नहीं .

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