Friday, August 5, 2011

भारतीय नारी



भारतीय नारी



निभाती है


ऊँची पदवियों से भी


ऊँचे रिश्ते


कभी बेटी ....


कभी माँ बनकर


या फिर किसी की पत्नी बनकर


फिर भी मर्द


ये सवाल क्यों पूछे -


कैसे बढ़ जाएगी


उम्र मेरी ?


तेरे रखे व्रतों से ?


अपनी रक्षा के लिए


अगर आज भी तुम्हें


बाँधना है धागा


इस इक्कीसवीं सदी में


तेरा जीने का क्या फ़ायदा ?


सुन लो....


ओ भारतीय मर्दो


यूँ ही अकड़ना तुम छोड़ो


आज भी भारतीय नारी


करती है विश्वास


नहीं-नहीं....


अन्धा विश्वास


और करती है


प्यार बेशुमार-


अपने पति


बेटे या भाई से ।


जिस दिन टूट गया


यह विश्वास का धागा


व्रतों से टूटा


उस का नाता


कपड़ों की तरह


पति बदलेगी


फिर भारतीय औरत


जैसे आज है करती


इश्क़ पश्चिमी औरत


न कमज़ोर


न अबला-विचारी ।


मज़बूत इरादे रखती


आज भारत की नारी


धागे और व्रतों से


रिश्तों की गाँठ


और मज़बूत वह करती


जो जल्दी से नहीं खुलती,


प्यार जताकर


प्यार निभाती


भारतीय समाज की


नींव मजबूत बनाती ।


दो औरत को


उसका प्राप्य सम्मान


नहीं तो.....


रिश्तों में आई दरार


झेलने के लिए


हो जाओ तैयार !!

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